Thursday 27 March 2014

AAP - positive and negative sides

                  आम आदमी पार्टी का उदय भारतके राजनितिक फलक में एक बड़ा परिवर्तन(paradigm shift) है. उसका उदय भृष्टाचार के खिलाफ जनआक्रोश के रूप में देखा जाता है. लोगो को आम आदमी पार्टी से बहुत उम्मीद भी थी और है, लेकिन कुछ ऐसी घटनाये भी हुई जिससे काफी संख्यामे आम नागरिक के मनमे आम आदमी पार्टीके लिए बहोत सरे सवाल उठने लगे. हमें आम आदमी पार्टी के पोसिटिव और नेगेटिव पहेलु पर थोडा मंथन करना चाहिए। दोनों पहेलु शतप्रतिशत सच होव का मेरा कोई दावा नहीं है लेकिन इसमें एक आम नागरिकके मन में चल रही दुविधाएं साफ दिखाय देगी। यह आर्टिकल एक कम्युनिटी परसेप्शन के रुपमे देखा जाना चाहिए।

पॉजिटिव 
१) आम आदमी पार्टीने भ्रष्टाचार मुक्त पॉलिटिक्सका एक नया ट्रेंड शुरू किया। लोगोको इसमें भ्रषटाचार के खिलाफ लड़नेकी एक पोलिटिकल विल दिखाय दे रही है. लेकिन अब AAP के ऊपर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगने शुरू हो गए है।  राखी बिरलाजी के ऊपर ७ लाख माँग का आरोप, फारुकाबड़ से AAP केंडिडेट मुकुल त्रिपाठीने पार्टीके अंदर करप्शन होने कि बात कर टिकट वापस किया है. काफी समय से केजरीवालजी के साथ कम कर रहे अश्विनी अश्विनी उपाध्यायने भी केजरीवालजी पर  भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप लगाया है. यह सब दावेमें कितना तथ्य है वोटो समय ही बता पायेगा, तब तक देशकी कई सारी  जनतासे  कम कररप्शन के आधार पर उसे वोट मिलते रहेंगे।

२)चुनावी फंडिंगमें ट्रांस्परेंसीकी शरुआत की . अगले ५ सलमे सभी पार्टिओको भी आपना फंडिंग ऑनलाइन करनेके लिए मजबूर होगी।

३)राजनेता और आम जनता के बीचमें बढ़ती हुई दुरी कम करनेके लिए सभी पार्टीको प्रेरित किया। आम आदमी पार्टी आम लोगोसे ज्यादा नजदीक दिखती है, और उसका केम्पेन डोर टू डोर ही ज्यादा होता है.

४)भ्रस्टाचार सामने लडनेमे लोगोका इन्वॉल्वमेंट कितना जरुरी है यह लोगो को सिखाया। लेकिन भ्रषटाचार से लड़नेका तरीका थोडा और सिस्टेमेटिक होगा तो और फायदा मिलेगा, स्टिंग ऑपरेशन से करप्शन को लम्बे समय तक नहीं रोका जा सकता है, और जब पूरा देश चलन हो तब यह तरीका असफल रहनेकी और उससे अराजकता, वहिवटीय गुप्त माहिती लिक होनेका और ब्रीच ऑफ़ प्राइवसी का खतरा रहेगा। सही तरीका अच्छी गवर्नन्स/मेनेजमेंट  प्रणाली और तेज न्याय प्रणाली का ही है. और पोलिटिकल विल हो तो यह सम्भव भी है.

५)परिवार वाद से मुक्ति. कोंग्रेस परिवार वाद का सिम्बोल बनचुकी है और भारतने इसकी बहुत ही महंगी कीमत चुकानी पड़ी है, बीजेपीमें कही कही थोडासा परिवारवाद दिखता है, लेकिन बीजेपी में पारिवारिक सदस्य को बड़ी पोस्ट नहीं मिल रही है, मेनका गांधी अच्छे सोशल वर्कर होनेके बावजूब भी इतनी आगे नहीं बढ़ पायी है, वरुण गांधीने भी कोई खास प्रोग्रेस नहीं किया है. आम आदमी पार्टी अभीतक परिवार वाद से दूर है लेकिन परिवारवाद कि सही परिक्षा जब पीढ़ी बदलती है तब ही होती है,
६)आम आदमी पार्टी असामाजिक तत्वोका बेक अप नहीं ले रहे है या तो बहुत ही कम(कुछ छोटे कार्यकरता)  ले रहे है , इसका मतलब ऐसा नहीं है कि बाकि सब पार्टी उसका उपयोग कर रही है लेकिन कई सारी  पार्टी वोट के लिए  असामाजिक तत्वोका उपयोग भरपूर कराती है , बिहार के बारे में पहेले कहाजाता था कि चुनाव बेलेट से नहीं बुलेट से लड़ा जाता था.
७)आम आदमी पार्टी सादगीको पॉलिटिकस में वापस लेनेमे सहियोग दे सकते है. हलाकि श्री ममता बेनर्जी और अभी अभी सादगी अपनाने वाले वसुंधरा जैसे कई नेताए ऐसा जीवन जी रहे है लेकिन उसने कभी इसका राजनैतिकरण नहीं किया।

नेगेटिव 
१)नॅशनल सिक्युरिटी के बारेमें आम आदमी पार्टीका रवैया बहुत ही चिंता जनक है. प्रशांत भूषणजी कश्मीरके अलग राष्ट्रकि वकालत कर रहे है. अरविन्द केजरीवाल बतला हॉउस एनकाउंटरमें मरे आंतकवादीके खिलाफ अभी भी सहानुभूति रख रहे है. लगता है वोटबैंकके लिए कुछभी करनेको तैयार है . इस विषय पर मेने अपने विचार और चिंता पर लेख लिखा है जो आप यह लिंक पर पढ़ सकते है http://drindia2014.blogspot.com/2014/03/aap-and-national-security.html

२)खाप पंचायतका बचाव किसीभी रूप में कतय जस्टिफाय नहीं किया जासकता है. हरियाणामें अपने ग्रामीण वोट के खातिर आम आदमी पार्टी इस हद तक निचे जा सकती है वो तो सोचभी नहीं सकते।

३)एक राजकीय पार्टी बनानेके बाद भी एक एक्टिविस्ट कि तर्क सोच और वर्तन रख रहे है. जिस कि आम आदमी पार्टी  एक स्टेबल गवर्नमेंट दे पायेगी और चला पायेगी वो सबको शंका है

4)आम आदमी पार्टी कि इकनोमिक पालिसी चिंता का विषय है, आम आदमी पार्टीका इकनोमिक मॉडल 1960 का भारत का इकनोमिक मॉडल है, भारतने 1992 में लिबरलाइज़ेशन के बाद जो प्रगति कि है उसको तहस नहस करदेगा। आम आदमी पार्टी भारतमें  प्राइवेटाइजेशन का विरोध कर रही है, ज्यादातर लोकशाही देशमें गवर्नमेंट जबभी बिज़नेस में हिस्सा लिया है तब परिणाम भ्रस्टाचार ही आया है और देशके  विकास पर उसका ख़राब असर हुआ है. एक पुराणी कहावत है "जहा राजा व्यापारी तहां  प्रजा भिखारीGovernment's foray into business gives rise to corruption (आप इस विषय पर श्री अरुण शौरीजीके  बहुत ही माननीय विचार आप यहाँ सुन सकते है: Government's foray into business gives rise to corruption: Arun Shourie - YouTube)
  एक डीसीजीव गवर्मेंट जो उद्योगो और जनहित दोनोके मदद करसके वोही देशको प्रगति के पंथ पर लेजायेगी।

५)आम आदमी पार्टीके नेताओ का अंदरूनी मतभेद(विचारधरामें और काम करनेकी मेथड में) ज्यादा है इसलिए भविश्यमे वो एक स्टेबल सरकार न दे सके ऐसी शक्यता काफी है

6 )मेघा पाटकर जैसे एक्टिविस्ट गवर्नेंसके लिए खत्रा है. मेघाजी नदियो पर डेम का विरोध कर रहे है लेकिन हमें यद् रखना चाहिए कि देशका कृषि विकास आधुनिक सींचाई  के बिना सम्भव नहीं है. इसके लिए पर्यावरणमें जो थोडा बहोत नुकसान हॉगा वो सहन करना ही पड़ेगा, लेकिन डेम से सिंचाई बढ़ेगी तो पेड़कि संख्या भी बढ़ेगी और लम्बे अर्सेमें परियावरण को भी फायदा ही होगा। कई देशो ने अपनी नदियो पर बांध बनाकर अपने मत्य उद्योग को ख़तम किया है और पर्यावरण को शुरूमे नुकसान भी पहुचाया है, लेकिन उसका दीर्घकालीन परिणाम कभी नुकसान दायक नहीं आए है.
७) गलती सबसे होती है पर आम आदमी पार्टी अपनी भुलका स्वीकार करनेको राजी नहीं है. जब सोमनाथभारतीकि घट्न हुई तब यदि आम आदमी पार्टीने माफ़ी मगली होती तो मामला वंही ख़तम हो जाता, लेकिन केजरीवालजी उसके साथ रहे और धरना में बेठ गए. इसी मुद्दे पर AAP के स्थापक सदस्यने इस्तीफा दे दिया फिरभी केजरीवाल अपनी बात पर अकड़ गए.

८) पोपुलिस्ट मेज़र (dolls) सिर्फ वोट दे सकती है उससे विकास नहीं हो सकता। लोगोको ज्यादा फ्री चीज़ देनेकी बजाय एम्प्लॉयमेंट और स्किल डेवलोपमेंट के पीछे ज्यादा ध्यान देना चाहिए। देल्हीमे लोगो से टेक्स लेकरके उसमे से लैटबिल में सब्सिडी देनेसे थोड़े वोट मिलाने के आलावा और ज्यादा फायदा नहीं होगा।

9 ) जो लोगोने केजरीवालजी के कहने पर लेत का बिल नहीं भरा था उसको बिल में 50 % राहत देनेका मतलब समजमे नहीं आ रहा है. आप कानून के विरुद्ध जेन वाले को फायदा दे रहे हो क्यों कि वो आदेश आपने दिया था. यह ऐटीटयूड लोकशाहीके लिए बहोत ही खतरनाक हो सकते है (इसकि तुलना  गांधीजी के सत्याग्रह या हेनरी डेविड थोरो के सिविल डिसओबिडियन्स के साथ करना अनुचित होगा)










No comments:

Post a Comment